शुक्रवार, 30 दिसंबर 2011


अपने शहर को कौन सुंदर नहीं देखना चाहता होगा .सुंदर  चोडी  सड़के ,अच्छे बगीचे ,साफ़ सफाई ,अच्छे भवन . ये सब किसके लिए ? रहने वालो के लिए .पर रायपुर नगर निगम देश का अकेला संस्थान है जिसे इस बात से कुछ लेना देना नहीं . उसे तो बस बिना योजना के तोड़फोड़ मचा के नागरिको को बेघर करना आम नागरिको के मुह से निवाला छिनना है .इसमे किसी राजनितिक दल की कोई जिमेदारी नहीं बंनती है ? कुछ समय पूर्व रायपुर के स्टेशन रोड से 63 दुकानदारो को (15 -2 -2009 )को बेधाखाल कर के तर्क दिया की स्टेशन को सुंदर बंनाना है सड़क चौड़ी करनी है .पर 3 साल हो रहे है अब तक इन बेचारे दुकानदारो का व्यवस्थापन नहीं करा सका नगर निगम इस बीच 4 
IAS  ऑफिसर
बदल गए .तब बीजेपी के महापोर सुनील सोनी थे .फिर कांग्रेस नगर निगम में आयी महापोर किरण जी आयी तब तेलीबांधा तालाब सौन्द्रियकरण के नाम पर 700 घरो को उजाड़ दिया .अब बारी डगनिया के निवासिओ की थी .सुबह 5 बजे निगम के राक्षसों ने सोते लोगो के घरो को उजाड़ दिया .लोग बेगार बार है ,रोजी छीन गयी ,बच्चो के मुह से दूध देखते देखते छीन लिया .
ये कैसा शासन जो अपने ही नागरिको के लिए अंग्रेजो से जायदा भस्मासुर बन गया है . लगता है एक क्रांति की फिर जरुरत है .   

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