मंगलवार, 14 फ़रवरी 2012

"Death-Day" 15 फरवरी 2009 दिन रविवार ये ही कोई सुबह के 6 बजे होंगे .स्टेशन चौक पर नगर निगम के 5 -6 बुलडोजर और इतनी ही ट्रके जिनमे करीब 200 मजदूर भरे थे .3 -4 बसों में पुलिस जवान अचानक आ धमके .
अभी स्टेशन आने वालो का सिलसिला शरू ही हुआ था होटलों में भटी जलनी शरू ही हुई थी .दुकानदारो में अजीब सी सिहरन दौड़ गयी किसी अनिष्ट की पुलिस वालो को लेकर निगम कर्मचारियो का दल अपने सेनापती    अमित कटारिया की प्रतिच्छा करने लगा ! .घडी  ने करीब 7 बजाये होंगे सेनापति आये उन्हें देख निगम कर्मिओ में जोश भर गया ,फिर क्या था कोहराम मचा दुकानों को  तोड़ने का फरमान जारी हुआ ,बेबस व्यपारीओ  ने गुहार लगाई पर सुनवाई की जगह डंडे ,गालीया चली और पुलिस ने 9 दुकानदारो को बड़े घर पहुचाया ,नियम विरुद्ध सीधे जेल भेजने   का मतलब था मनोवैज्ञानिक  दबाव डाल कर दुकानदारो को शांत करना . फिर क्या था जालिमो के सामने किसी की चली है ? पूरा स्टेशन रोड धुए के गर्द में समा गया .दुकानदारो की दुनिया उनके सामने लुटते रही जैसे किसी अबला का सरे आम बलात्कार हो रहा हो और लोग बेबस देख रहे हो .जीवन उस डुबते सूरज की तरह था जिसके फिर उगने की सम्भावना नहीं .बीते तीन साल इन दुकानदारो ने किस किस जननेता के दरवाजे माता नहीं टेका ,अधिकारिओ से विनती की .सब सहानुभूति रखते है पर परिणाम.! o /सन्नाटा . पता नहीं बापू के देश में इन पीडितो के जीवन में खुशिया आ पायेगी भी या नहीं ? .पर इस जंग में स्टेशन रोड रायपुर के व्यापारी पूरी शांती ,पूरी अहिंसा और पुरे सहयोग से अपनी मांगे शासन के सामने  रखते रहेंगे.

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें